महोबा जनपद के चरखारी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मंगलगढ़ किला एक बार फिर सुर्खियों में है। रक्षा मंत्रालय ने इस किले से अपना अधिग्रहण वापस ले लिया है, जिसके बाद प्रशासन ने इसे नगर पालिका परिषद चरखारी की निगरानी में सुपुर्द कर दिया है। अब यह किला नगर पालिका की देखरेख में है, परंतु आम लोगों के प्रवेश पर अस्थायी रोक लगा दी गई है।




आपको बता दे कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने किला खाली करते हुए संबंधित दस्तावेजों के साथ इसे तहसील प्रशासन को सौंपा। इस प्रक्रिया में एसडीएम चरखारी डॉ. प्रदीप कुमार और नगर पालिका परिषद के अधिशाषी अधिकारी अमरजीत मौजूद रहे। निरीक्षण के बाद उन्होंने पाया कि पिछले एक सप्ताह से स्थानीय और बाहरी पर्यटकों की भारी भीड़ किले का भ्रमण करने पहुंच रही है। इसे देखते हुए प्रशासन ने किला परिसर में भीड़-भाड़ और संभावित अव्यवस्था को रोकने के उद्देश्य से लाउडस्पीकर से मुनादी कराई और मुख्य द्वार पर ताला लगाकर आम शैलानियों के प्रवेश पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी।
रविवार को कई पर्यटक जब किला देखने पहुंचे तो उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ा। हालांकि स्थानीय लोगों में इस किले के दोबारा आम जनता के लिए खुलने की उम्मीद अभी भी बनी हुई है।
मंगलगढ़ किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में बुंदेलखंड के महान योद्धा महाराजा छत्रसाल के द्वितीय पुत्र महाराजा जगतराज द्वारा करवाया गया था। देशी रियासतों के विलय के बाद यह किला जिला पंचायत हमीरपुर के अधीन आया और पर्यटक यहां नियमित रूप से आते रहे। लेकिन पिछले तीन दशक से यह किला रक्षा मंत्रालय के अधिग्रहण में रहा, जिससे आम लोगों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।
अब जबकि रक्षा मंत्रालय ने अपनी तैनाती हटाकर किला खाली कर दिया है, तो किले की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे हैं, जिससे देश-विदेश से पर्यटकों की रुचि एक बार फिर जाग उठी है।
चरखारी निवासी आफाक सरवर ने बताया कि अमेरिका में रह रहे उनके मित्र के साथ-साथ बिहार, झारखंड और अन्य राज्यों में बसे उनके रिश्तेदारों ने मंगलगढ़ किला खुलने की जानकारी मिलने पर यहां आने की उत्सुकता जताई है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार और झारखंड सहित कई प्रदेशों से लोग चरखारी स्थित इस किले को देखने की योजना बना रहे हैं।
इतनी उत्सुकता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि मंगलगढ़ किला पर्यटन की दृष्टि से बड़ा केंद्र बन सकता है, यदि प्रशासन उचित प्रबंधन के साथ इसे पर्यटकों के लिए नियमित रूप से खोले। फिलहाल नगर पालिका इसके केयरटेकर के रूप में कार्य कर रही है और संभावना जताई जा रही है कि किले के भविष्य को लेकर कोई दीर्घकालिक नीति जल्द तैयार की जा सकती है।
मंगलगढ़ किला न केवल चरखारी की शान है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है। इसकी ऐतिहासिकता, स्थापत्य और सामाजिक जुड़ाव को देखते हुए यह जरूरी है कि इसे सुरक्षित रखते हुए पर्यटन के लिए व्यवस्थित रूप से खोला जाए, ताकि स्थानीय रोजगार के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास को भी गति मिल सके।