रिपोर्ट: संतोष चौरसिया


जमुना कोतमा
एसईसीएल की जमुना कोतमा खदान में अगर कोई सबसे खतरनाक बीमारी फैल रही है, तो वह है — भ्रष्टाचार की महामारी! और इसके मुख्य वाहक हैं खुद विभाग प्रमुख चंदेश्वर दयाल, जिन्होंने पूरे विद्युत यांत्रिकी विभाग को कमीशनखोरी का चार्जिंग स्टेशन बना दिया है!
“लोकल परचेज” = खुला लूट बाजार!
जहाँ खदान के श्रमिक मशीन खराब होने से सिर पकड़ कर बैठ जाते हैं, वहीं चंदेश्वर दयाल साहब अपने घर में लोकल परचेज के नाम पर लाखों की फर्जी बिलिंग से एसी ठंडा कर रहे हैं
मशीनें चलें या न चलें, उत्पादन ठप हो या ज़ीरो पर पहुँचे — इनको फर्क नहीं पड़ता, जब तक कमीशन की गाड़ी पटरी पर दौड़ रही है
मशीनें मरती जा रही हैं — पर साहब की जेब मोटी होती जा रही है!
वर्कशॉप में मरम्मत नहीं, बाजार में सेटिंग!
जिन मोटर्स और मशीनों की मरम्मत एरिया वर्कशॉप में मुफ्त या न्यूनतम खर्च में हो सकती है, उन्हें जानबूझकर बाजार भेजा जा रहा है। कारण?
“बिल फुल बनाओ – पैसा आधा अपना!”
मामला सीधा-सीधा कमीशनखोरी का है। काम नहीं, किकबैक चाहिए। खदान को नुकसान हो रहा है? इनको क्या!
सप्लायर्स या दलाल? – झोला पार्टी हर दरवाज़े पर!
पूरे विभाग में एक अजीब तमाशा चल रहा है। सुबह होते ही सप्लायर नाम के दलाल झोला लेकर चंदेश्वर दयाल और उनके चमचों के घर-ऑफिस में हाज़िरी लगाते हैं
यह कोई सरकारी कार्यालय नहीं, यह तो ‘घूस मेला’ बन चुका है!
कॉलोनी अंधेरे में, अधिकारी मालामाल!
जमुना कोतमाकी कॉलोनियों में बिजली नाम की चीज़ सिर्फ कागज़ों में है। श्रमिक दिन भर की थकान के बाद न तो चैन से सो पा रहे हैं, न ही सुबह ड्यूटी जाने की हालत में होते हैं।
और उधर दफ्तरों में भ्रष्टाचार के बल्ब 24 घंटे जल रहे हैं
खदान मर रही है, लेकिन भ्रष्ट अफसर फल-फूल रहे हैं!
उत्पादन लगातार गिर रहा है। मशीनें हर रोज़ ब्रेकडाउन पर हैं। लेकिन विद्युत यांत्रिकी विभाग के कर्ताधर्ता अब भी “माल कहाँ से आये?” में लगे हैं।
यह विभाग अब “Maintenance Division” नहीं, बल्की “Money-Drain Division” बन चुका है!
चंदेश्वर दयाल पर सवाल, या फिर चुप्पी की साज़िश?
क्या जमुना कोतमा में कोई जवाबदेही नाम की चीज़ है?
क्या ऊपर बैठे अधिकारी इस लूट को देख नहीं रहे या जानबूझकर आँखें मूंद ली हैं?
अगर यही हाल रहा, तो खदान बचेगी नहीं — सिर्फ़ रिश्वतखोरों का महल खड़ा रहेगा!
-जमुना कोतमा की जनता, कर्मचारी और श्रमिक अब चुप नहीं बैठेंगे यह लड़ाई सिर्फ कोयले की नहीं, ईमानदारी और हक की है
जागो एसईसीएल — वरना खदान डूबेगी और इतिहास तुमसे सवाल करेगा!