रिपोर्ट – मो कामरान अहमद
जनपद – कासगंज यूपी



एक–एक हजार रूपए उनके वेतन से जाएगें वसूले
न्यायालय ने माना कि प्रशासनिक अधिकारियों ने जानबूझ कर की न्यायालय के आदेश की अवहेलना
न्यायालय के अनुसार घटनास्थल पर समानांतर न्यायालय चलाने का प्रयास किया गया प्रयास
गंजडुंडवारा⁄ प्रशासनिक अधिकारी न्यायालय के आदेश को कितनी गंभीरता से लेते है व उनका क्रयान्वयन किस ढंग करते इस तरह का मामला कासगंज में प्रकाश में आया है। इस मामले में कासगंज की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोर्ट ने एक जमीनी मामले में पारित आदेश की अवहेलना करने को ले कर एसडीएम पटियाली और थाना प्रभारी सिकंदरपुर वैश्य के विरुद्ध 1000, 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायालय के आदेश के अनुसार जुर्माना की धनराशि उपरोक्त अधिकारियों के वेतन से वसूल कर पीड़ित वादी मुक़ददमा को दी जाएगी।
कस्बा के मोहल्ला केवल निवासी सौरभ गुप्ता ने जमीनी विवाद को लेकर वर्ष 2019 में न्यायालय की शरण ली थी। जिसमें न्यायालय ने सबंधित जमीन का मालिक पीडित को ही माना और पीडित के पक्ष में डिक्री घोषित की। बाद इसके पीडित द्वारा जमीन पर कब्जा व दखल लेने हेतु सिविल जज सीनियर डिवीजन में प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर न्यायालय ने गत 19 अप्रैल को डिक्री निष्पादन के लिए अमीन को रिट जारी कर एसएचओ, सिकंदरपुर वैश्य को सहायता के लिए निर्देश पत्र भेजा । वहीं इस मामले में पटियाली एसडीएम को डिक्री निष्पादन हेतु कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया। परंतु डिक्री निष्पादित ना होने पर पीडित ने न्यायालय से गुहार लगाई जिस पर न्यायालय ने सुनवाई करते हुए सबंधितों से भी उनका पक्षा सुना और मामले में पाया कि एसडीएम पटियाली और एसएचओ सिकंदरपुर वैश्य ने डिक्री को निष्पादित करने और सिविल कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया। उन्होंने खुद जानबूझकर डिक्री को निष्पादित करने के लिए सिविल कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की। वहीं न्यायालय ने एस.डी.एम. पटियाली, थाना प्रभारी सिकंदरपुर वैश्य ने घटनास्थल पर समानांतर न्यायालय चलाने का प्रयास करना माना गया तथा तथ्यों की जांच की तथा आदेश के अनुसार आदेश का पालन कराने का कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने न्यायालय के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन किया है तथा न्यायालय की गरिमा को गिराया है। जिस पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोर्ट ने एसडीएम पटियाली और एसएचओ सिकंदरपुर वैश्य पर 1000/- 1000⁄– का रुपये का जुर्माना लगा कर उनके वेतन से वसूल करने के आदेश दिए गए। न्यायालय ने वसूले गए रूपयों को पीडित वादी को दिलाने को आदेश पारित किए है। वहीं सिविल कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कोर्ट के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए एक रेफरल माननीय उच्च न्यायालय को भेजा जाए।