अनूपपुर अभी वे नोट छपे नहीं हैं जो कामरेडों को खरीद सकें

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ब्यूरो रिपोर्ट -लतीफ अहमद सिद्दीकी

अनूपपुर जिले के अपने गाँव चोरभटी में 7,00,00,0 सात लाख रुपयों की नोटों की गड्डी के साथ जो बैठे हैं वे जुगल जी, हमारी पार्टी सीपीएम की जिला समिति के सदस्य – कामरेड जुगल राठौर – हैं । यह उन्हें थमाई गयी “भेंट” का एक हिस्सा है इसे स्वीकार करने पर 8, 00,00,0 आठ लाख और पहुंचाए जाने के लिए फोन पर फोन लगाए जा रहे हैं ।

जुगल राठौर और उनकी पार्टी तथा संगठन इस इलाके की एक बिजली कंपनी से विस्थापित हुए किसानों के साथ उनकी जमीन लेते समय बाकायदा लिखा पढ़ी में किये गए अनुबन्ध के पालन किये जाने, प्रत्येक लैंड आउस्टी – भू विस्थापित – परिवार को पॉवर प्लान्ट में स्थायी रोजगार दिए जाने और इस उद्योग में काम करने वाले सभी ठेका मजदूरों को नियमानुसार सारे अधिकार तथा बेहतर वेतन दिए जाने की मांग को लेकर संघर्ष करते रहते हैं । हाल ही में उन्होंने इस कंपनी द्वारा अवैध तरीके से हड़पी जमीन का घोटाला पकड़ा है और उसे किसानों को लौटाए जाने की मांग उठाई है । वे सीटू से संबंधित संयुक्त ठेकेदारी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भी हैं ।

आन्दोलन को खामोश कर देने की यह पहली कोशिश नहीं है । इससे पहले इस आंदोलन को कुचलने और डराने के सारे कदम उठाये गए । बिकने को तैयार और उपकृत किये जाने पर मातहत हो जाने के लिए हाजिर और तत्पर कलेक्टरों और पुलिस अफसरों को काम पर लगाया । राजनीतिक गतिविधियों और श्रमिक आन्दोलनों के दौरान लगाए जाने वाले झूठे मुकदमों को आधार बनाकर जुगल राठौर को जेल में डलवाया गया – कोई 52 दिन जेल में रहकर वे फिर लाल झन्डा लेकर मोर्चे पर डट गए । इसके बाद उन्हें अनूपपुर और उसके नजदीक के जिलों से जिला बदर कर दिया गया । जिलावतनी का यह समय उन्होंने सीपीएम के राज्य मुख्यालय भोपाल में गुजारा – लौटते ही फिर लड़ाई जारी रखी । अब इस पॉवर प्लांट के मालिक प्रबंधन अपनी थैलियाँ लेकर चुप्पी खरीदने आये हैं । यह राशि उन्हें खामोश करने के लिए पहुंचाई गयी है ।
मंगठार उमरिया के पॉवर प्लांट के ठेका मजदूरों की लड़ाई में भी उन्हें जेल भेजा गया, झूठे मुकदमे में सजा करवाई गयी – मगर उनकी लड़ाई नहीं रुकी । जुगल छात्र जीवन से ही आन्दोलन में रहे हैं – उनकी लड़ाई विचार के साथ जुडी है, लेन देन के साथ नहीं ।

हाल ही में जुगल और उनकी पत्नी जनवादी महिला समिति की जिलाध्यक्ष पार्वती राठौर के बड़े बेटे का विवाह हुआ है । एक दिन अचानक इस पॉवर कम्पनी का आला प्रबन्धन विवाह की बधाई देने के बहाने जुगल के घर पहुंचा और लौटते में दो पैकेट्स छोड़ आया । जब उन्हें खोलकर देखा तो उनमे 2,00,00,0 दो लाख रूपये निकले । इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए फोन किया गया तो अगले दिन आकर उनसे भी बड़े आला मैनेजमेंट आकर इधर उधर की बात की और जाते समय 5,00,00,0 पांच लाख का एक पैकेट और छोड़ गए और जाते जाते आठ लाख और भिजवाने की बात कह गए ।

इस बार इन दोनों कामरेडों ने झूठे को चूल्हे तक पहुंचाने की ठान ली थी । पहले जैतहरी थाने को फोन लगाकर उसके टी आई को रिपोर्ट लिखने और पैसे लेजाकर जब्ती में जमा करने के लिए कहा गया ; टी आई ने बोला ऐसा कोई क़ानून नहीं वे कुछ नहीं कर सकते । एस डी एम् महोदया से बात की गयी । उनने कहा हम कुछ नहीं कर पायेंगे, टी आई से बात करो । टी आई ने फिर पुराना जवाब दोहरा दिया । जुगल राठौर ने मुख्यमंत्री की सी एम हेल्पलाइन में लिखित शिकायत भेजी – लगता है उधर बैठे लोग भी चकरा गए । उन्हें भी समझ नहीं आया तो वहां से भी टी आई और एस डी एम से बात करने की सलाह मिली । हाल फिलहाल हाल यह है कि रिश्वत दिए जाने की शिकायत, दिए गए धन को हाथ में लिए शिकायतकर्ता बैठा है और जिन्हें उस शिकायत पर कार्यवाही करनी है वे हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि करें तो क्या, कें तो क्यों ?

सनद रहे यह पावर प्लांट एम बी मतलब मोजर बेयर का प्लांट है और हिन्दुस्तान पॉवर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एच पी पी एल) की परियोजना है । इसके मालिक अपने भांजे राजा के वाया कमलनाथ हैं । कंपनी उनकी है राज भाजपा का है मगर शिव ‘राज’ रहा हो या मोहन ‘राज’ भाजपा की सरकारें किसानो, मजदूरों और बेरोजगारों की लूट के मामले में कमल नाथ की सेवा में हाजिर नाजिर रही हैं ।

कोई डेढ़ दशक पहले जब इस कंपनी के लिए चार गाँव और पांच नदियाँ लेने की शुरुआत हुई थी तब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने ही उसके खिलाफ लड़ाई शुरू की थी । उस वक़्त इस कंपनी के चीफ दलाल ने दिल्ली से आकर सीपीएम के नेताओं से भेंट कर उन्हें 50 लाख की पेशकश की थी । सामाजिक शिष्टाचारवश उन्हें परोसी गयी चाय का कप वापस लेते हुए उन्हें फ़ौरन दफा हो जाने के लिए कहा गया था । पता चला कि बाद में इस पैसे से भी कम में उस इलाके के कुछ स्थानीय फर्जी नेता खरीद लिए गए । सरकार से कहकर अपने माकू अफसर पदस्थ करवा लिए गए और उस उभार को मैनेज कर लिया गया । मगर लड़ाई रुकी नहीं । इस बार भी इस कम्पनी ने रॉंग नम्बर डायल कर लिया है वे उस नेता को खरीदने पहुँच गए हैं जो सी पी एम जैसी पार्टी ईमानदारी का पर्याय सी पी एम जैसी पार्टी का सिपाही है । एक ऐसी पार्टी जिसके कैडर को खरीदा जा सके ऐसी मुद्रा अभी छपी ही नहीं है ।

मोजर बेयर के मालिकों और प्रबंधन को मुफ्त की सलाह यह है कि कामरेडों के लिए ऐसे मूल्यहीन कागज़ वाले नोट लेकर जुगल जी के घर जाने की बजाय कोरे कागज़ लेकर बैठें और उन कागजों पर जुगल राठौर और उनकी सीटू से जुडी यूनियन के द्वारा दिए गए ज्ञापनों, उठाई गयी मांगों पर बातचीत कर उन्हें पूरा करने के समझौते लिखकर स्थायी समाधान निकालें ।

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