महू दंगा: दंगाइयों को प्रशासन का संरक्षण

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रिपोर्ट लतीफ अहमद सिद्दीकी

इंदौर। 9 मार्च को चैम्पियन ट्राफी की जीत के बाद महू में निकाला गया विजय जलूस, प्रशासन के संरक्षण मे उन्माद पैदा कर एक समुदाय विशेष के लोगों और तय धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने का योजनाबध्द प्रयास था। अभी भी पुलिस और प्रशासन दंगाइयों को बचाने और अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश कर रहा है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने आज महू के प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर, पीड़ित परिवारों और नागरिकों से मुलाकात कर यह बयान जारी किया है। प्रतिनिधि मंडल में पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह, जिला, सचिव अरुण चौहान, सीएल सरावत, राजू झरिया, काशीराम आदि शामिल थे।
प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि पहली ही दृष्टि से साफ है कि पांच हजार लोग अचानक इकट्ठा नहीं हो सकते थे। रमजान के महीने में रात दस बजे के बाद मस्जिद में घुस कर पटाखे चलाना भी उकसाने वाली हरकत है।

प्रतिनिधि मंडल की राय है कि प्रशासन की लापरवाही और अपराधियों को संरक्षण देने से यह घटना हुई है। प्रश्न यह भी है कि जब दोनों समुदायों के साथ बैठकर यह सहमति बन चुकी थी कि हिंदुओं का जलुस मस्जिद वाले रूट और मुसलमानों का जलूस मंदिर वाले रूट से नहीं निकलेगा, तब इस जलूस को जामा मस्जिद की ओर से जाने और मस्जिद में पटाखे चलाने की इजाजत किसने दी है।

माकपा प्रतिनिधि मंडल ने पीड़ित नागरिकों से भी मुलाकात की। उन्होंने बताया कि लाखों रुपए का नुकसान होने के बाद भी पुलिस अपराधियों की नामजद रिपोर्ट नहीं कर रही है, जबकि उपलब्ध वीडियो फुटेज में वे साफ दिखाई दे रहे हैं। मोहम्मद सागीर ने बताया कि उसके दो आटो और साइकिल जला देने और महिलाओं के साथ मारपीट करने के बाद नामजद रिपोर्ट नहीं दर्ज की गई है, जबकि वह नाम बता रहा था।

माकपा प्रतिनिधि मंडल ने कहा है कि दंगाई भाजपा और उसकी मातृ संस्था से संबंधित है, इसलिए उन्हें बचाया जा रहा है। भाजपा सरकार की यह साजिश साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने की है।
माकपा ने मांग की है कि इस दंगे के दोषी अपराधियों को सजा दी जाए। अल्पसंख्यक समुदाय को संरक्षण दिया जाए और नुकसान की भरपाई की जाए।

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