संवाददाता – अमित दत्ता
उमरिया:— उमरिया जिले का विकास खंड पाली के ग्राम पंचायत चांदपुर के बैगा बाहुल्य ग्राम बाघन्नारा में आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में आज भी बिजली की रोशनी मृगतृष्णा बनी हुई है ।एक तरफ जहा देश में वैज्ञानिक क्रांति से देश आधुनिकता के दौर में हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है फिर भी आज भी कई ग्रामों के ग्रामवासी अंधकार के घुप अंधेरे में ज़ीने को मजबूर हैं। आजादी के 77 साल पूरे होने के बाद जहां पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है ऐसे में आज तक बिजली जैसी बुनियादी जरूरत पूरी न हो पाना चमकदार देश की उजली तस्वीर को धूमिल करती प्रतीत होती है । यह तस्वीर सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए काफी है बल्कि उसने सत्ता सीन जनप्रतिनिधियों और जिले के आलाधिकारियों की कथनी करनी की पोल खोल कर रख दिया है। यही वजह है कि आज भी गांव के गांव मूलभूत सुविधाओं जरूरतों तक को तरस रहे हैं। बाघन्नारा गांव में लगभग 35 से 40 बैगा आदिवासी परिवार बिजली एवं पानी जैसी प्राथमिक जरूरतों के लिए जूझ रहे हैं। गांव के आदिवासी बिजली की इस मांग के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की चौखट पर अनेकों बार माथा रगड़ रगड़ थक हार गये ।लेकिन नगाड खाने में तूती की आवाज सुनाई कहा देती है , वही हाल उमरिया जिला प्रशासन और सत्ताधीश जनप्रतिनिधियों का है ।यहां पर किसी ने आज तक जन हितैषी मांग की सुध नही ली. बताया जाता है कि जब जनप्रतिनिधियों को इन भोले भाले गांव वालों को बहलाना होता है,कुछ लाली पाप दे जाते यही वजह है कि गांव में खम्भे खड़े करा दिये गये तो कभी ट्रांसफार्मर लगा दिये गये । गांव में इन खम्भो में 11 तारो का जाल बिछा दिया गया, लेकिन आखिरकार उन तारों में बिजली का करंट कब आएगा और कब ग्रामीणों को पाषाण युग से छुटकारा दिलाकर आधुनिक युग में प्रवेश कराएगा इसका जबाबदार कोई दिखाई नहीं दे रहा।
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