बाबा का बुल्डोजर खनन माफियाओं का बन रहा सबसे बड़ा हथियार

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जानकारी होने पर भी खनन अधिकारी नहीं करते कार्यवाही

TNI 24/ ब्यूरो चीफ मेराज अहमद

बहराइच।बात अगर हम खनन की करें तो पिछले काफी अर्से से तराई का यह जनपद अधिकारियों द्वारा दी जा रही खुली छूट के कारण खनन माफियाओं की शरण स्थली बनी हुई है।जिसे उपजाऊ भूमि प्रभावित होने के साथ साथ जनहानि के खतरे के रूप में भी देखा जाता है।खनन को लेकर खनन अधिकारी सहित बड़े अधिकारियों की निष्क्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब यह कारोबार जनपद के लगभग सभी क्षेत्रों में फैल चुका है।और अधिकारी कुछ मामलों में खाना पूर्ति कर शासन द्वारा अपनी अपनी पीठ थपथपाए जाने का लगातार इंतजार किया करते हैं।उक्त मामले को लेकर जब खनन अधिकारी से बात की गई तो वे अपने द्वारा किए गए कुछ मामलों और वसूली की जानकारी देते हुवे कहने लगे कि माह अप्रैल और मई में मेरे द्वारा कुछ गाड़ियों को बंद करवाकर लाखों की वसूली करवाई गई है।उनके द्वारा की गई कार्यवाहियों की व्हाट्सएप पर कुछ जानकारियां भी भेजी गई।लेकिन मोहमदा, बरई,रज्जब तुरई,लड्डन भट्ठा व हाजी बिलाइत की तरफ जेसीबी, ट्रैक्टर ट्राली व डमफर आदि के माध्यम से व्यापक पैमाने पर हो रहे खनन व खुलेआम उक्त क्षेत्रों में दौड़ रही अवैध गाड़ियों के बारे में बरगलाते हुवे अनजान बनने की कोशिश करते रहे।और तो और हो रहे खनन की मौके से जानकारी प्राप्त होने के बाद भी वे मूकबधिर दर्शकों की भूमिका में ही नजर आए।एक विश्वसनीय सूत्र का यहां तक कहना था कि मार्च माह में दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे में एसडीएम व लेखपाल के अथक प्रयासों से दो डंफर सहित जो बीस गाडियां पकड़ी गई उसमे खनन अधिकारी की कोई भूमिका ही नहीं थी।तहसील स्तर पर भी कई मामलों में इनके द्वारा की जा रही निष्क्रियता की ही बात बताई जा रही है।परिणाम स्वरूप जनपद में बेखौफ खनन माफियाओं द्वारा किए जा रहे खनन के मामले बढ़ते जा रहे हैं।और बाबा के जिस बुल्डोजर से प्रदेश के तमाल अवैध बिल्डिंगों को धाराशाई कर प्रदेश सहित पूरे विश्व में तहलका मच गया अब बाबा के उसी बुल्डोजर से बैखौफ, बेलगाम खनन माफियाओं द्वारा एकदोतीन चार नहीं बल्कि 12 20 फीट खनन किए जाने के बाद भी मानों खनन अधिकारी का होंठ फेविक्विक के मजबूर जोड़ से चिपका दिया गया हो। मालूम हो कि खनन को लेकर जहां गोंडा व बलरामपुर के जिलाधिकारियों द्वारा खनन माफियाओं पर प्रहार करते हुवे इतिहास रचा जा रहा है वहीं बहराइच की आवाम भी उक्त पुनरावृत्त की अर्से से एक आस लगाए कार्यवाही की बाट जोह रही है।आखिर खुलेआम हो रहे उक्त भ्रष्टाचार का जिम्मेदार कौन है?क्या क्षेत्रीय लेखपाल को टर्नमेट कर देना चाहिए जो संबंधित अधिकारियों को सही जानकारी भी उपलब्ध नहीं करवा पाता।या फिर खनन अधिकारी को जो जानकारी होने के बाद भी संदेह की दृष्टि से देखे जाते हैं।जबकि सभी विभागीय जानकारियां अंतोगत्वा उन्हीं के संज्ञान में लाई जाती है।एस डी एम भी खनन संबंधी जानकारी के लिए खनन अधिकारी से ही बात करने की बात कहते हैं।जबकि जानकारी होने पर वे स्वयं ही कार्यवाही पर निकल पड़ते हैं।आखिर उक्त खेल कब तक चलता रहेगा?सत्ताधारी नेताओं से लेकर सड़क छाप नेताओं व ठेकेदारों का खनन कार्य सुचारू रूप से चलते रहने के बावजूद बहराइच का खनन विभाग सिर्फ कागजी खाना पूर्ति और छुटभैये खनन कर्मियों को परेशान करके अपनी पीठ थपथपाने में क्यूं लगा हुआ है तमाम वाहनों के पकड़े जाने के बाद भी खनन विभाग तथ्यात्मक जानकारी देने में आखिर क्यूं पूरी तरह आनाकानी करते देखा जाता है।तराई बेल्ट में हो रहे अथाह खनन के चलते तमाम ऐसे बड़ेबड़े गड्ढे बन चुके हैं जो आने वाली बरसात में जल भराव के बाद तमाम दुर्घटनाओं को अंजाम देते नजर आएंगे।आखिर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा जहां भी खनन के लाइसेंस है वहां पर भी देखा जा रहा है कि उनके निर्धारित मापदंड से कई गुना अधिक तक खनन किए जाने के बावजूद उस पर खनन विभाग या किसी अधिकारी का कोई अंकुश लगता नहीं दिखाई दे रहा है। जिससे समस्याएं दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है।जानकारी होने के बाद भी आखिर खनन अधिकारी किसके दबाव में कार्यवाही नहीं करते आखिर खनन के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों को क्यूं धमकाया जाता है संदर्भित प्रकरण के संदर्भ में शासन या प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही की जाती है या प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण में ही उक्त गोरख धंधा ऐसे ही फलता फूलता रहेगा इसके लिए जवाब का इंतजार करना होगा।

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