कदमटोला जल संकट ट्रांसफार्मर के नाम पर प्रशासन का ‘ब्लैकआउट’, दीपक साहू बना निर्लज्जता का प्रतीक

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ब्यूरो रिपोर्ट -लतीफ अहमद सिद्दीकी

जमुना कोतमा (अनूपपुर), 19 अप्रैल:
जब देश के प्रधानमंत्री हर घर नल से जल पहुंचाने की बात कर रहे हैं तब कदमटोला पंचायत के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं और यह त्रासदी किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से नहीं, बल्कि एक अहंकारी और संवेदनहीन अधिकारी की लापरवाही की उपज है नाम है अनुपपुर जिले के अनुविभागीय अधिकारी दीपक साहू

कदमटोला जहां दो बोरवेल तैयार हैं पानी उपलब्ध है सिस्टम बना हुआ है लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं सिर्फ एक ट्रांसफार्मर की वजह से पूरे गांव का गला सूखा पड़ा है और ये हालात कोई दो दिन की कहानी नहीं, बीते एक साल से ग्रामीण तड़प रहे हैं जबकि साहू साहब के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही

पंचायत सचिव से लेकर आम ग्रामीण तक हर किसी ने विभाग में अर्जी डाली, गुहार लगाई, पैर पकड़ लिए लेकिन साहू साहब की कलम तो जैसे कागज़ से ज्यादा घमंड से चलती है

बरटोला, बोकराही, पाठटोला जैसे इलाके तो अब जल जीवन मिशन का नाम सुनकर ही हंसने लगे हैं और ये हंसी नहीं, तंज है उस सरकार पर जो सिर्फ घोषणाएं करती है

पाठटोला, जहाँ बैगा आदिवासी समुदाय वर्षों से उपेक्षा झेल रहा है वहाँ आज तक एक घूँट तक नहीं पहुंचा

लेकिन सरकारी पोर्टल पर लिखा है हर घर जल
क्या ये झूठ नहीं, अपराध नहीं?

प्रश्न यही है क्या सरकार की योजनाएं सिर्फ फ़ाइलों में स्वीकृति और पोर्टल में एंट्री तक ही सीमित हैं?

या फिर दीपक साहू जैसे अफसरों की आंखों में गरीबों की प्यास, इंसानियत की आवाज़ और संविधान का मतलब तीनों अंधेरे में डूब चुके हैं?

कदमटोला पंचायत के लोग आज पूछ रहे हैं

एक ट्रांसफार्मर क्या सरकार के बस से बाहर हो गया है?”
या फिर “ट्रांसफार्मर की कीमत से ज़्यादा अधिकारी की अकड़ है?

साहू साहब, अगर गांव की गलियों में कदम रखेंगे तो शायद सुनेंगे वो आवाज़ें जो अब दबी नहीं रहीं
“हमें पानी दो वरना कुर्सी छोड़ो!”

ये खबर नहीं चेतावनी है
कदमटोला अब चुप नहीं बैठेगा
और अगर इस बार भी जवाब नहीं मिला तो साहू साहब, अगला आवेदन धरना’ होगा, और उसके बाद ‘जनआंदोलन’

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