वेदानुकूल आचरण ही धर्म है:अरविंद शास्त्री लाक्षागृह पर सामवेद पारायण यज्ञ हुआ

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रिपोर्ट सुदेश वर्मा

बागपत / बिनौली बरनावा के लाक्षागृह स्थित श्री महानंद संस्कृत गुरुकुल में गांधीं धाम समिति के तत्वाधान में ब्रह्मर्षि कृष्णदत्त महाराज के 82 वे जन्मोत्सव पर दो दिवसीय सामवेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ हुआ। जिसमे कई प्रांतों से श्रद्धालुओं ने आहुति दी।
वैदिक विद्वान व प्रधानाचार्य अरविंद शास्त्री ने श्रद्धालुओं को वेदोपदेश देते हुए कहा कि वेद वाणी आत्मा को आनंदित करती है। जहां वेद वाणी का प्रसार होता हो वास्तव में वहां के निवासी बहुत ही भाग्यशाली हैं। इसीलिए आत्मज्ञान वर्धन के लिए वेद वाणी जरूरी है। उन्होंने कहा वेदानुकूल आचरण ही धर्म है। जबकि वेद के विपरीत आचरण रूढ़ि पाखंड है।
अग्निहौत्र संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। मनुष्य को जीवन सार्थक बनाने के लिए श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। यज्ञ के ब्रह्म आचार्य गुरुवचन शास्त्री ने कहा कि भगवान ने हम सबके कल्याण के लिए जो संविधान दिया है। उसका हम सबको पालन करना चाहिए। परमात्मा का वेद ज्ञान हमारा संविधान है।
वेद ज्ञान के अनुसार चलने से हमारा जीवन सुखमय बन सकता है। आचार्य देवेंद्र शास्त्री व रोहित शास्त्री ने वेदपाठ किया। स्वामी सत्यवेश, यशोधर्मा सोलंकी, राजपाल त्यागी, जयदेव आर्य, ब्रह्मचारी सुबोध,
धनबीर दत्त शर्मा, अनंगपाल वानप्रस्थी,
बालकृष्ण, राजेंद्र द्वारका
बारु सिंह झाल, राहुल त्यागी, शिवकुमार, संजीव मुलसम आदि मौजूद रहे।

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