मान्यता को लेकर जताई नाराजगी


ख़बर गाजीपुर से है। जहां मरदह क्षेत्र के महेगवां स्थित मां सरस्वती पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट में सोमवार को उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब बीएससी नर्सिंग फर्स्ट सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं ने कॉलेज के मुख्य गेट पर प्रबंधन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया जिन पर लिखा था।शौक नहीं मजबूरी है, INC जरूरी है”
“Education without approval is evolution”
“We want transfer”
छात्र-छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने बिना INC (इंडियन नर्सिंग काउंसिल) अप्रूवल के ही उनका बीएससी नर्सिंग में दाखिला कर लिया, जिससे उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है। उनका कहना है कि कॉलेज ने छात्रों से एडमिशन के नाम पर मोटी फीस ली, लेकिन अब यह सामने आ रहा है कि संस्थान को नर्सिंग कोर्स चलाने की अधिकारिक मान्यता प्राप्त नहीं है।प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने बताया कि कॉलेज की वेबसाइट पर भी गलत जानकारी डालकर भ्रम फैलाया गया, ताकि छात्रों को यह लगे कि कॉलेज को INC की मान्यता मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि जब इस विषय में प्रबंधन से बातचीत की जाती है तो संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।छात्रों ने मांग की है कि उनकी फीस वापस की जाए और किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज में ट्रांसफर की व्यवस्था की जाए। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वे जिलाधिकारी से मिलकर अपनी बात रखेंगे और बड़ा आंदोलन करेंगे।इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) भारत में नर्सिंग शिक्षा के लिए एक नियामक संस्था है, जो देशभर के नर्सिंग कॉलेजों के लिए मानक और दिशा-निर्देश निर्धारित करती है। बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों को INC की मान्यता अनिवार्य रूप से लेनी होती है, अन्यथा ऐसे संस्थानों से जारी डिग्री भविष्य में अमान्य मानी जा सकती है।कॉलेज प्रबंधन का पक्ष
मां सरस्वती पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के डॉ. मनीष यादव ने छात्रों के आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि,
कॉलेज को INC की तरफ से बीएससी नर्सिंग कोर्स की मान्यता प्राप्त है। बिना अप्रूवल के हम कॉलेज चला ही नहीं सकते। छात्रों को जो करना है करें—धरना दें या प्रदर्शन करें, हमें कोई आपत्ति नहीं है
फिलहाल, इस मामले ने मरदह क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थानों की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्र जहां अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, वहीं प्रशासनिक स्तर पर जांच की मांग भी तेज होती दिख रही है।