ब्यूरो रिपोर्ट -लतीफ अहमद सिद्दीकी



जमुना कोतमा पसान बीते दिनों की मूसलाधार बारिश ने नगर पालिका पसान क्षेत्र में कहर बरपा दिया है सबसे हृदयविदारक दृश्य सामने आया वार्ड क्रमांक 8 में, जहाँ 70 वर्षीय सकुन बाई पति स्वर्गीय श्री सत्यप्रकाश मिश्रा का कच्चा मकान पूरी तरह जमींदोज़ हो गया इस हादसे में करीब चार लाख रुपये की क्षति हुई है और वृद्धा अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं
कुदरत के बाद अब प्रशासन की मार
प्राकृतिक आपदा के बाद भी सकुन बाई को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है न तो राजस्व अमला मौके पर पहुँचा, न ही जनप्रतिनिधियों ने सुध ली एक असहाय वृद्ध महिला बेसहारा हो चुकी है लेकिन शासन-प्रशासन की चुप्पी कहीं अधिक पीड़ादायक साबित हो रही है
प्रशासनिक संवेदनहीनता की मिसाल
हादसे को कई दिन बीत गए, पर स्थानीय प्रशासन ने अब तक स्थिति का जायज़ा लेने की भी ज़रूरत नहीं समझी न तहसील कार्यालय से कोई टीम पहुँची, न ही नगर पालिका का कोई कर्मचारी राहत लेकर आया यह घटना न केवल सरकारी लापरवाही की पोल खोलती है, बल्कि उस तंत्र की संवेदनहीनता को उजागर करती है जो आमजन की पीड़ा पर आंखें मूंदे बैठा है
स्थानीयों में रोष, जनप्रतिनिधियों पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों ने नाराज़गी जताते हुए सवाल उठाया है कि जब आपदा के समय प्रशासनिक अमला और जनप्रतिनिधि नजर नहीं आते, तो उनके पद और योजनाएं आखिर किस काम की हैं? क्या शासन की योजनाएं सिर्फ कागजों में हैं, और क्या बुजुर्गों का जीवन अब आंकड़ों से भी सस्ता हो गया है?
स्थायी समाधान नहीं, बस आश्वासन की बारिश
हर साल पसान में बारिश तबाही लाती है, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया अधिकारी सिर्फ आकस्मिक बैठकों और सर्वे की खानापूर्ति कर रहे हैं जबकि जमीनी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं