बदरा: अब कोयले से नहीं सट्टे से जल रहा है

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यह बदरा अब वह बदरा नहीं रहा जो कभी खनन के लिए जाना जाता था अब ये इलाका आईपीएल सट्टेबाजों की शरणस्थली बन चुका है एक ऐसा सुरक्षित अड्डा जहां दिन में करोड़ों का काला खेल खेला जा रहा है और रात में प्रशासन आंखें मूँद कर चैन की नींद सो रहा है

बदरा, जमुना, कोतमा, भालूमाडा, राजनगर, रामनगर और बिजुरी—यह अब कोई आम कस्बे नहीं रहे, ये सब मिलकर सट्टेबाजों का ‘क्रिकेट कसीनो’ बन चुके हैं यहां हर ओवर, हर बॉल, हर चौके-छक्के पर मोबाइल की स्क्रीन पर लाखों का दांव लगता है लोगों की आँखों में आईपीएल नहीं नोटों की बरसात दिखती है

कौन हैं ये लोग जो ये सट्टा चला रहे हैं?

ये कोई कोने में बैठे दो नंबर के दुकानदार नहीं हैं ये हैं वो ‘भूतपूर्व जुआ किंग’ जो अब डिजिटल युग के ‘आईपीएल किंग’ बन चुके हैं इनके पास सिर्फ मोबाइल और व्हाट्सएप ग्रुप नहीं बल्कि सत्ता से सीधा नेटवर्क है इनके नंबरों में न मोबाइल की लिमिट है न पुलिस की हिम्मत और पुलिस? अरे, पुलिस तो इनकी जेब में बैठी है! खबर मिलती है कि “आज छापा पड़ने वाला है,” और अगले ही मिनट में सट्टा डीलर की गाड़ी स्टार्ट हो जाती है अब आप ही बताइए, छापे से पहले खबर मिलना—क्या ये मज़ाक है या सिस्टम की सड़ांध की निशानी?

प्रशासन क्या कर रहा है?

कुछ नहीं! बिल्कुल कुछ नहीं!
प्रशासन की हालत उस गूंगे गवाह जैसी हो गई है जिसे सब पता है, लेकिन बोलना मना है अफसरों के बयान ऐसे होते हैं जैसे रिकॉर्डेड टेप चला दिया गया हो:

हम जांच कर रहे हैं, सख्त कार्रवाई होगी
और फिर महीनों तक सब कुछ वैसा ही चलता रहता है

क्या इस इलाके के अधिकारी अब ‘सट्टे के दलाल’ बन चुके हैं? क्या उनकी ड्यूटी अब सिर्फ दिखावे की प्रेस रिलीज़ तक सीमित रह गई है

सबसे बड़ी चोट—हमारे युवाओं पर

सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि इस गोरखधंधे की सबसे बड़ी बलि चढ़ रही है हमारी युवा पीढ़ी वो बच्चे जो कभी किताबों में उलझे रहते थे अब सट्टे के आंकड़ों में डूब चुके हैं स्कूल छोड़ दिए गए कॉलेज बेमतलब हो गए और मोबाइल फोन अब उनका भविष्य तय कर रहे हैं माँ-बाप को लगता है बच्चा ऑनलाइन क्लास में है लेकिन हकीकत में वह ऑनलाइन सट्टे में करोड़ों हार-जीत रहा है

अब बस बहुत हुआ…!

ये खबर नहीं एक सीधी ललकार है प्रशासन के मुंह पर—अगर अब भी तुम नहीं जागे तो याद रखना यही बदरा, यही कोतमा, यही भालूमाडा, कल तुम्हारे लिए ‘अपराध का नरक’ बन जाएगा और उस दिन तुम्हारे प्रेस नोट और घिसे-पिटे बयान तुम्हें बचा नहीं पाएंगे

कोयलांचल की जनता अब चुप नहीं बैठेगी ये सटोरिए चाहे किसी भी नेता के चहेते हों, चाहे किसी बड़े अफसर के रिश्तेदार हों—अब नाम भी उजागर होंगे, और नालायक सिस्टम को आईना भी दिखाया जाएगा

कान खोल कर सुन लो—
अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो अगली बार जनता सड़कों पर होगी और तुम्हारी कुर्सियाँ कांपेंगी

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