भोपाल। 31 मार्च को जबलपुर में रांझी पुलिस थाने में दो बुजुर्ग फादर और ईसाई समुदाय के दूसरे सम्मानित नागरिकों के साथ संघ से जुड़े लोगों द्वारा की गई मारपीट के आरोपियों को राजनीतिक दबाव में प्रशासन बचाने में लगा है।


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि पुलिस थाने में हुई मारपीट को न केवल पुलिस अधिकारियों ने स्वयं अपनी आंखों से देखा है बल्कि इसके वीडियो भी उपलब्ध हैं, इसके बावजूद पुलिस ने इसकी एफआईआर चार दिन बाद तीन अप्रैल को प्रदर्शन के बाद लिखी है. और उसकी कापी भी न तो पीड़ित पक्ष को दी है और न ही मीडिया को उपलब्ध कराई है। उलटा पीड़ित पक्ष को ही वरिष्ठ अधिकारी बुलाकर कह रहे हैं कि राजनीतिक दबाव के कारण वे अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करने में असमर्थ हैं। अब तो यह भी जानकारी मिल रही है कि पुलिस ने अपराधियों को ससम्मान थाने बुलाकर जमानत भी दे दी है।
माकपा नेता ने कहा है कि भाजपा सरकार के अल्पसंख्यक विरोधी रुख का शिकार मुसलमान और ईसाई दोनों हो रहे हैं। वक्फ
पर कानून बनाने के बाद अब इनके निशाने पर चर्च और ईसाई आदिवासी हैं।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि उन्हें प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब सात साल पहले जबलपुर में एक चर्च जलाए जाने के मामले में भी यही लोग शामिल हैं। पिछले दिनों उस केस को वापस लेने का दबाव भी प्रशासन की ओर से बनाया गया था, मगर ईसाई समुदाय के धर्म गुरुओं के दबाव में न आने के कारण यह घटना की है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि वह दबाव में आए बगैर अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही करे और एफआईआर की प्रति पीड़ित पक्ष को देने के साथ ही सार्वजनिक करनी चाहिए। माकपा ने सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट होकर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले तत्वों के विरोध में आगे आने की अपील की है।
जसविंदर सिंह
9425009909
10 April 2025